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Wednesday, February 22, 2012

काँटे चुभाता रहा अक्सर





एक तेरे प्यार के पैमाने में आँसू मिला के पीता रहा अक्सर, 
हर दर्द को सीने में दबा के मैं जीता रहा अक्सर,
कोई समझे , न समझे , मैं तो उससे उम्मीद ही करता रहा ,
वो मेरे घावों पे मरहम देगा लेकिन , वो तो उसमे काँटे चुभाता रहा अक्सर !!

4 comments:

  1. ऐसा भी होता है..
    अच्छी प्रस्तुति:-)

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  2. शायद उनका आखिरी हो यह सितम हर सितम यह सोच कर हम सह गये....सुंदर रचना

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