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Tuesday, January 24, 2012

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !! ~♥ कल्प ♥~



खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में ,
बिन बोले दो-बात कहो ,
फिर दिल की आवाज़ सुनो कभी तन्हाई में ,

किसे पाया , किसको खोया ,
कौन है आस-पास , फिर देखो दूर तक कभी वीराने में ,
किसे हंसाया , किसको रुलाया ,
किसका दिल दुखाया , कभी अनजाने में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

किसे अपनाया , किसको ठुकराया ,
उनको भी झाँक के देखो , कभी दिल की गहराई में ,
किसे बनाया , किसको बिगाड़ा ,
अब तो जागो प्यारे , कब से सो रहे उजियारे में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

अपनों को तो हम भूल गए , गैरों की क्या बात कहें ,
चलो अच्छे कुछ काम करें अब , बाकी बची जिंदगानी में ,
भूखे - प्यासे की आग बुझायें , दीन - दुखी को गले लगायें ,
आओ साथ चलें मिलकर हम , केवल बात न करें अब ज़ुबानी में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

ठहरे - जमे हुए पलों ने बहुत रुलाया है ,
दिल के आईने में भी अब तो , खुद का चेहरा धुंधलाया है ,
ये जिस्म ही नहीं , एक मुकम्मल " रूह " है ~♥ कल्प ♥~
जाने कब से जाग रही - भटक रही है , खुद को खुद से मिलाने में ,
अब डूबने दो - उबरने दो जरा मुझे , " कल्प " को तलाशने में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !! ~♥ कल्प ♥~

3 comments:

  1. सुन्दर चित्र के साथ बहुत ही खुब लिखा है आपने.

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  2. This comment has been removed by the author.

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