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Monday, January 30, 2012

सूने आँगन संग ~कल्प~


ये ज़िन्दगी इतनी तन्हा क्यूँ है ,
हर पल किसी का इंतज़ार क्यूँ है ,
कोई नहीं है दूर - दूर तक राहों  में , ~कल्प~ 
फिर भी उनके पास होने का एहसास क्यूँ है !!

ये ख़ुशी क्यूँ रूठी है मुझसे ,
ये हंसी क्यूँ जार-जार है ,
पलट के पन्ने जो देखता हूँ ज़िन्दगी के , ~कल्प~
तो एक कोना आज भी ♥ दिल ♥ का मेरे तार-तार है !!

वो अपने मेरे , अब अपने क्यूँ नहीं लगते मुझे ,
वो सारे सपने कहाँ खो गए मेरे ,
हर सुबह पलकों पे खिला , हर शाम जुल्फों में ढला करती थी कभी ,
अब तो सूने आँगन संग ~कल्प~ भी , तन्हा चाँद को निहारा करता है !!


Tuesday, January 24, 2012

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !! ~♥ कल्प ♥~



खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में ,
बिन बोले दो-बात कहो ,
फिर दिल की आवाज़ सुनो कभी तन्हाई में ,

किसे पाया , किसको खोया ,
कौन है आस-पास , फिर देखो दूर तक कभी वीराने में ,
किसे हंसाया , किसको रुलाया ,
किसका दिल दुखाया , कभी अनजाने में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

किसे अपनाया , किसको ठुकराया ,
उनको भी झाँक के देखो , कभी दिल की गहराई में ,
किसे बनाया , किसको बिगाड़ा ,
अब तो जागो प्यारे , कब से सो रहे उजियारे में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

अपनों को तो हम भूल गए , गैरों की क्या बात कहें ,
चलो अच्छे कुछ काम करें अब , बाकी बची जिंदगानी में ,
भूखे - प्यासे की आग बुझायें , दीन - दुखी को गले लगायें ,
आओ साथ चलें मिलकर हम , केवल बात न करें अब ज़ुबानी में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

ठहरे - जमे हुए पलों ने बहुत रुलाया है ,
दिल के आईने में भी अब तो , खुद का चेहरा धुंधलाया है ,
ये जिस्म ही नहीं , एक मुकम्मल " रूह " है ~♥ कल्प ♥~
जाने कब से जाग रही - भटक रही है , खुद को खुद से मिलाने में ,
अब डूबने दो - उबरने दो जरा मुझे , " कल्प " को तलाशने में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !! ~♥ कल्प ♥~

अपने थे ♥ कल्प ♥

हम तो वो हैं जो ग़ैरों को भी अपना बना लेते हैं ,
फिर आज वो जो अपने थे , कैसे ग़ैर हो गए !! 

वक़्त और हालात ने मिलकर हमें तन्हा कर दिया ,
वरना हम भी कभी अकेले ही महफ़िल सजाया करते थे !! ♥ कल्प ♥

Tuesday, January 17, 2012

~♥ कल्प ♥~ जिसकी " रूह " तो दिखती है मुझे



ज़िन्दगी ने मुझे क्या दिया , या ,
मैंने ज़िन्दगी को क्या दिया
इसी उधेड़बुन में बैठा हूँ मैं ,

मैंने कदम नहीं बढ़ाये , या ,
मज़िल कहीं दूर थी मेरी , पता नहीं ,

वक़्त ने साथ नहीं दिया , या ,
किस्मत कहीं नाराज़ थी मुझसे , पता नहीं ,

हर - सू में तेरा चेहरा नज़र आता था मुझे ,
हर ख्व़ाब तेरे पहलू से बाँध रखे थे मैंने ,
नींद नहीं आई मुझे , या
फिर शब् नहीं ढली कभी , पता नहीं ,

खुशियाँ खेलती , ज़िन्दगी नाचती थी कभी ,
हर लम्हें में हंसी गूंजती थी आँगन में ,
किसी कि नज़र लगी , या ,
खुदा को यही मंज़ूर था , पता नहीं ,

आईने में कभी-कभी खुद से पूछता हूँ मैं ,
कि कौन है ये शक्श ~♥ कल्प ♥~ जिसकी " रूह " तो दिखती है मुझे ,
लेकिन , जिस्म " सो " रहा है कहाँ , पता नहीं !!


Thursday, January 12, 2012

मैं उसे चाहता हूँ ~♥ kalp ♥~


मैं उसे चाहता हूँ जो मेरा नहीं है...
उसे माँगता हूँ जो मुझे मिल नहीं सकता...
ज़िन्दगी के उन हसीन ख़्वाबों की ताबीर चाहता हूँ...
जिसे वक़्त ने कभी अपने लम्हों में लिखा ही नहीं...!! ~♥ कल्प ♥~


Saturday, January 7, 2012

♥" कल्प "♥ क्या चाहता है , ज़िन्दगी से





ये  ज़िन्दगी रोज़ कुछ नया लिखती है ,
कुछ नया सिखाती है ,
हर आने वाले लम्हे कहीं वक़्त की गहराई में छुपे है ,
उन्ही लम्हों में कहीं ख़ुशी है , और कहीं गम भी ,

कभी चाहो जिसे वो मिलता नहीं , और कभी बिन माँगे सब मिल जाता है ,
पता नहीं ये " कल्प " क्या चाहता है , ज़िन्दगी से ,
लेकिन जो भी मिला है अब तक , उसे सीने से लगाये हूँ ,
कुछ इस तरह , जैसे मोती छुपा के सीप , बैठा हो कहीं सागर की गहराई में !! ~♥ कल्प ♥~

Wednesday, January 4, 2012

यूँ अकेला छोड़ा न करो !! ~♥ कल्प ~♥



यूँ तुम मुझे परेशां किया न करो ,

हमें अपने हाल पे तन्हा छोड़ा न करो ,

कश्ती तो मेरी पार उतरेगी , समन्दर की लहरों के भी , लेकिन

तुम मुझे बीच मजधार में , यूँ अकेला छोड़ा न करो  !! ~♥ कल्प ~♥




Tuesday, January 3, 2012

ये ख्वाबों ख्यालों की दुनिया भी अजीब होती है

ये ख्वाबों ख्यालों की दुनिया भी अजीब होती है...
हम अपनी हर ख्वाहिश , हर आरजू को पूरा करते हैं...

हक़ीकत की दुनिया में तो यूँ भी दर्द बहुत हैं...
ख़्वाबों की दुनिया में ही जीना बेहतर लगता है...

खुद को हम , खुद के बहुत करीब पाते हैं...
हर ग़म को ख़ुशी से गले लगाते हैं...
अपनी चाहतों को पहचानते हैं...
वक़्त को रोक के , उसमे प्यार के रंग भरते हैं...
जीते हैं और , हंसते हैं हम फिर से साथ - साथ...

या शायद कभी ठहरे हुए लम्हों में
हम मरते हैं फिर साथ - साथ...

ये ख्वाबों ख्यालों की दुनिया भी अजीब होती है...~♥ कल्प ♥~





उड़न तश्तरी ....: नीलोफर की आँख- एक किताब!!!

Sunday, January 1, 2012

HAPPY NEW YEAR 2012

सभी दोस्तों को एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों को
नव वर्ष २०१२ के आगमन पर , मेरी बहुत बहुत शुभकामनायें