Me On Facebook

Friday, April 6, 2012

रोते हुए बच्चन (CHILDREN) को आज कोई हँसावत नाही !!





कुछ अपनी बोल-चाल की भाषा में लिखने की कोशिश की है... 
दिल के कुछ अरमान निकाले हैं...ज़रा ग़ौर फ़रमाएगा...
और मेरी त्रुटियों को कृपया मुझे जरूर बताएं... 



जब तुम पास होत हौ अपने , तो हमका कौनव साथी की जरूरत नाही ,
तुम्हार नैन खुबसूरत हैं इतने , कि निगाह हमार हटत नाही !!
ज़िन्दगी की गाड़ी चलत है आपन खडामा-खडामा , कौनव बैल-गाड़ी की हमका जरूरत नाही !!
नाम हमार है "कल्प" हम अपनी धुन में रहत है मस्त , हमका कौनव "टेंशन" नाही !! 

गेहूँ के साथ पिस जात हैं घुन भी , आम-आदमी की आज इससे ज्यादा कीमत नाही ,
विज्ञान चला लगाने सीढ़ी सरग (स्वर्ग) मा , धरती पर पड़ा इंसान उनका दिखावत नाही !!
उजले कपड़े पहन के नेता चले है सब , कबहूँ अपने गिरेबान मा झांकत नाही, 
तन साफ़ करे से कबहूँ मन साफ़ न होवे , भगवान् बसत है ह्रदय मा उनका कबहूँ पूजत नाही !!

कर डालव कितनेव "घोटाला" , कोयला-सीमेंट-पत्थर कोई खावत नाही ,
बंद करो "भ्रष्टाचारियों" को देना "अनाज" , कहत आज हर किसान ,
ठूँसों "रूपया" उनके मुंह मा , देखें काहे रूपया खावत नाही !!    
जइहव एक दिन धरती माँ की शरण मा सब , या बात काहे अपने जहन मा उतारत नाही !!


अब तो लोग सबेर-सबेरे नेता-मंत्री-संत्री , की चौखट चूमत है ,
धरती माता की माटी , कोई अपने सर लगावत नाही !!
गददारन के गोड़न (LEG) मा जाके धरत है सर आपन , माँ - बाप के पैर कोई छूवत नाही !! 
बुदधी होय गयी है भ्रष्ट लोगन की , कौड़ी-कौड़ी बेचत ईमान आपन ,
रोते हुए बच्चन (CHILDREN)  को आज कोई हँसावत नाही !!    



कुछ पंक्तियाँ और जोड़ना चाहूँगा...

छोड़ घर आपन जाके बसे बिदेश मा , माँ - बाप की कबहूँ लियत खबर नाही,
एक कमरा मा पालिन जिनका , अब उनके चार (४) कामरन मा माँ-बाप का बसर नाही !!
पिछली बारिश मा गिर गयी छत घर की , लेकिन अपने लड़िकन से माँ-बाप कबहूँ बतावत नाही ,
अरे लौट आओ माँ-बाप के चरणन मा , सेवा करो उनकी , स्वर्ग यही है धरती पर और कौनव दूजा नाही !!

  

Wednesday, March 28, 2012

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें..


एक छोटी सी कोशिश अपने ज़ज्बात को कहने की....
कुछ आधी-अधूरी सी है , लेकिन सीधी और सच्ची है...

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें ,
आने वाली नस्लों को कुछ मीठे फल दे जायें ,
बातों में ही जाया करते हैं हम , कीमती वक़्त को अपने ,
चलो कलम छोड़ कर अब हाथों में , फावड़े - कुदाल उठायें !!

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें...

भारत की जनता को न नयी तकनीक चाहिए ,  
हर भूखे को यहाँ बस दो रोटी चाहिए ,
पहले यही होनी हमारी प्राथमिकता चाहिए ,
न अब हमें नेताओं के झूठे वादे-भाषण सुनने हैं ,
भारत देश को फिर सुभाष-भगत-आज़ाद चाहिए !!

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें...

अपना भारत तो गावों में रहता है ,
इसे वहीँ सांस लेने दो , जीने दो , बढ़ने दो ,
"खेत" जोतने वाले हाथों में "हल" ही रहने दो ,
वरना जिस दिन "कुछ और" आ गया ,
तो देश में एक भी "गद्दार" न रहने पायेगा !!

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें...
~♥ कल्प वर्मा ♥~


Wednesday, March 21, 2012

दरवाजे पे पलकें बिछाई थी मैंने !! ~♥ कल्प वर्मा ♥~


तुम कभी इस दिल में उतर कर देखो ,
हजारों अरमान साँस लेते मिलेंगे यहाँ , 
आँखों के समंदर में कभी डुबकियाँ लगा कर देखो ,
जाने कितने ख़्वाब तैरते मिलेंगे यहाँ !!

ये प्यार की दुनियां बड़ी हिफाज़त से सजाई थी मैंने ,
तन्हाइयों में हमेशा एक तेरी याद की ही महफ़िल सजाई थी मैंने ,
कोई ख़्वाब कभी जलाया नहीं , कोई अरमान कभी दफ़नाया नहीं ,
तेरे आने की ख़ुशी में साँसों की डोर टूट गयी ~♥ कल्प ♥~ की , 
फिर भी तू पास आके तो देख , कैसे दरवाजे पे पलकें बिछाई थी मैंने !! 
~♥ कल्प वर्मा ♥~


यह जानकारी सबके पास पहुंचे !!

कृपया इसको शेयर करें ताकि यह जानकारी सबके पास पहुंचे !!

अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने ---दो पक्ष - कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष !
तीन ऋण - देव ऋण, पित्र ऋण एवं ऋषि त्रण !
चार युग - सतयुग , त्रेता युग , द्वापरयुग एवं कलयुग !
चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथ पूरी एवं रामेश्वरम धाम !
चार पीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ !
चार वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद !
चार आश्रम - ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास !
चार अंतःकरण - मन , बुद्धि , चित्त , एवं अहंकार !
पञ्च गव्य - गाय का घी , दूध , दही , गोमूत्र एवं गोबर , !
पञ्च देव - गणेश , विष्णु , शिव , देवी और सूर्य !
पंच तत्त्व - प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश !
छह दर्शन - वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग , पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !
सप्त ऋषि - विश्वामित्र , जमदाग्नि , भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !
सप्त पूरी - अयोध्या पूरी , मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , कशी , कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !
आठ योग - यम , नियम, आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !
आठ लक्ष्मी - आग्घ , विद्या , सौभाग्य , अमृत, काम , सत्य , भोग , एवं योग लक्ष्मी !
नव दुर्गा - शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी , चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी , कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !
दस दिशाएं - पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण, इशान , नेत्रत्य , वायव्य आग्नेय ,आकाश एवं पाताल !
मुख्या ग्यारह अवतार - मत्स्य , कच्छप , बराह , नरसिंह , बामन , परशुराम , श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !
बारह मास - चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाड़ , श्रावन , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष . पौष , माघ , फागुन !
बारह राशी - मेष , ब्रषभ , मिथुन , कर्क , सिंह, तुला , ब्रश्चिक , धनु , मकर , कुम्भ , एवं कन्या !
बारह ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ , मल्लिकर्जुना , महाकाल , ओमकालेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम , विश्वनाथ , त्रियम्वाकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर , भीमाशंकर एवं नागेश्वर !
पंद्रह तिथियाँ - प्रतिपदा , द्वतीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावश्या !
स्म्रतियां - मनु , विष्णु, अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत , कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य , लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !

Thursday, March 15, 2012

जैसे पूरी दुनियाँ हो घर में !! ~♥ कल्प ♥~



एक तन्हा आँगन है , सूनी छत है ,
एक मैं हूँ , और सारा आकाश है ,
मिट्टी के घर हैं ,
आधी - अधूरी कुछ दीवारें हैं ,
नन्हें हाथों को तरसते ताख़ पे रखे कुछ खिलौने हैं ,
जाने किस आँधी में उजड़ गयी है दुनिया घर की !!


एक तन्हा आँगन है , सूनी छत है ,
एक मैं हूँ , और सारा आकाश है ,
चाँद छुप गया है बादल में ,
चिराग की लौ भी डोलने लगी है अब , जलते - जलते ,
सारे नज़ारे गहरी नींद की आगोश में हैं ,
जाने किस शून्य में खो गयी है दुनिया घर की !!


एक तन्हा आँगन है , सूनी छत है ,
एक मैं हूँ , और सारा आकाश है ,
दूर हुए अपने सारे करीब लगते हैं ,
यूँ सितारों के आँगन से जैसे मुझे बुलाता है कोई ,
बादलों पे चलकर , कभी हवाओं को पकड़कर ,
जाने कब चाँद के दामन में सर रखके सो जाता हूँ मैं ,
फिर बीत गयी रात ग़म की , अब तो सुबह हुई है खुशियों की !!


चहकने लगे हैं पंछी सारे , मंद - मंद हवा है बहती ,
छम - छम करती पायल बजती , मुस्कान - ठिठोली गूँजती आँगन में ,
जी उठा हो अब ये घर जैसे , साँस लेती दीवारें हैं ,
अब ये तन्हा आँगन तन्हा नहीं , छत भी सूनी नहीं लगती ,
दिल के दरवाजे पे दस्तक है प्यार की , ज़िन्दगी खड़ी है चौखट पे ,
अब तो यहीं है बाँहों में , दुनिया मेरी ,
अब ये घर केवल घर नहीं , जैसे पूरी दुनियां हो घर में !!  ~♥ कल्प ♥~

Friday, March 2, 2012

लाश पे कफ़न नहीं मिलता !! ~♥ कल्प वर्मा ♥~





हर लम्हें में ख़ुशी नहीं होती , हर रिश्ते में प्यार नहीं मिलता ,
हर शाख़ पे गुल नहीं खिलते , हर शख्स अजीज़ नहीं होता ,
हर रात की सुबह तो होती है लेकिन , हर राह पे मंज़िल नहीं मिलती !!


हर दिल में प्यार नहीं होता , हर सीप में मोती नहीं मिलता ,
हर परवाने को शमा नहीं मिलती , हर जख्म का मरहम नहीं होता ,
कटी पतंग की डोर तो मिल जाती है लेकिन , जिस्म से जुदा रूह को साँसे नहीं मिलती !!


बिन पंख परिंदे हवाओं में नहीं उड़ते , बिन बादल कभी बरसात नहीं होती ,
हर फूल में कांटे नहीं होते , चिराग तले कभी रौशनी नहीं मिलती ,
सूरज तो रोज़ निकलता है लेकिन , सो गए जो चिर-निद्रा में बीती रात , उनके नसीब में कभी सुबह नहीं होती !!


ज़िन्दगी कभी रूकती नहीं , और वक़्त किसी के लिए ठहरता नहीं ,
साहिलों की रेत पे कभी घर नहीं बसते , हर सितारा चाँद के करीब नहीं होता ,
चलते तो सभी हैं ज़िन्दगी की राह में लेकिन , हर मुसाफिर को कारवां नहीं मिलता !!


हर आरज़ू पूरी नहीं होती , हर ख़्वाब सच नहीं होते ,
हर पत्थर में भगवान नहीं बसते , हर मिट्टी में सोना नहीं मिलता ,
पेट तो सबको दिए यहाँ ऊपर वाले ने लेकिन , हर भूखे को रोटी नहीं मिलती !!


दरिया के किनारे नहीं मिलते , कभी कागज़ के फूलों में खुशबू नहीं मिलती ,
सूनी आँखें कभी ख़्वाब को तरसती हैं , कभी हर आहट पे निगाहें चौखट पे होती ,
कभी लाखों के कपड़ों में भी तन ढकता नहीं , फिर देखो कहीं माँ का आँचल है , लाश पे कफ़न नहीं मिलता !!
~♥ कल्प वर्मा ♥~

Monday, February 27, 2012





मैं उसे चाहता हूँ जो मेरा नहीं है...
उसे माँगता हूँ जो मुझे मिल नहीं सकता...
ज़िन्दगी के उन हसीन ख़्वाबों की ताबीर चाहता हूँ...
जिसे वक़्त ने कभी अपने लम्हों में लिखा ही नहीं...!! ~♥ कल्प ♥~




Wednesday, February 22, 2012

काँटे चुभाता रहा अक्सर





एक तेरे प्यार के पैमाने में आँसू मिला के पीता रहा अक्सर, 
हर दर्द को सीने में दबा के मैं जीता रहा अक्सर,
कोई समझे , न समझे , मैं तो उससे उम्मीद ही करता रहा ,
वो मेरे घावों पे मरहम देगा लेकिन , वो तो उसमे काँटे चुभाता रहा अक्सर !!

Wednesday, February 8, 2012

साहिलों की रेत के जैसे !! ~♥ कल्प ♥~



बरसों बाद आज जो पल्टे पन्ने , अपनी किताबों के , 


तो सुर्ख़ गुलाब की सूखी , चंद पंखुरियाँ बिखरी हुई मिलीं ,
एक-एक पंखुरी में हज़ार-हजार यादें , मुझे पुकारती हुई मिलीं ,


पंखुरियों को छुआ तो , उनके  चेहरे का नर्म एहसास हुआ , 
हथेलिओं पे रखा तो , उनके चेहरे का दीदार हुआ ,


इन नम आखों में तैरती तस्वीर , उन्हीं की आज भी है ,
दिल में बसी ख़ुशबू भी , उसी सुर्ख गुलाब की आज भी है ,


जाने क्यूँ ये वक़्त रुलाता रहता है अक्सर ,
जाने क्यूँ ज़िन्दगी गुजरती जाती है तन्हा ,
हर लम्हें को इतना कस के मुट्ठी में पकड़े हूँ फिर भी ,
ये फिसलते जाते हैं , यूँ साहिलों की रेत के जैसे !! ~♥ कल्प ♥~


Sunday, February 5, 2012

हमकदम साथ तेरे !! ~♥ कल्प ♥~


जाने कितने जन्मों की प्यास बुझती है ,
एक तेरी नज़र का जाम पी के ,
सारे फासले मिट जाते हैं , दूरियां ख़त्म हो जाती हैं ,
एक तेरी बाहों के घेरे में ,
यूँ ज़िन्दगी की राहों में मुश्किलें तो हैं बहुत ,
पर कट जाता है हर सफ़र हँसते - हँसते , हमकदम साथ तेरे !!  
~♥ कल्प ♥~


Wednesday, February 1, 2012

~♥ कल्प ♥~ की "रूह" नहीं मिलती




बीते हर लम्हें में , एक तेरा ही इंतज़ार रहा है ,


यूँ हर रात को जैसे , एक भोर का इंतज़ार रहा है ,


वक़्त थमा नहीं कभी , और मैं भी रुका नहीं हूँ अभी ,


फिर भी न जाने क्यूँ , 


अब पाओं के नीचे जमीं नहीं मिलती ,


चलती हुई साँसों को कोई डोर नहीं मिलती ,


दिल तो धड़कता है पर एहसास नहीं है ,


न जाने क्या हुआ है अब ,


इस जिस्म को जैसे ~♥ कल्प ♥~ की "रूह" नहीं मिलती !!





Monday, January 30, 2012

सूने आँगन संग ~कल्प~


ये ज़िन्दगी इतनी तन्हा क्यूँ है ,
हर पल किसी का इंतज़ार क्यूँ है ,
कोई नहीं है दूर - दूर तक राहों  में , ~कल्प~ 
फिर भी उनके पास होने का एहसास क्यूँ है !!

ये ख़ुशी क्यूँ रूठी है मुझसे ,
ये हंसी क्यूँ जार-जार है ,
पलट के पन्ने जो देखता हूँ ज़िन्दगी के , ~कल्प~
तो एक कोना आज भी ♥ दिल ♥ का मेरे तार-तार है !!

वो अपने मेरे , अब अपने क्यूँ नहीं लगते मुझे ,
वो सारे सपने कहाँ खो गए मेरे ,
हर सुबह पलकों पे खिला , हर शाम जुल्फों में ढला करती थी कभी ,
अब तो सूने आँगन संग ~कल्प~ भी , तन्हा चाँद को निहारा करता है !!


Tuesday, January 24, 2012

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !! ~♥ कल्प ♥~



खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में ,
बिन बोले दो-बात कहो ,
फिर दिल की आवाज़ सुनो कभी तन्हाई में ,

किसे पाया , किसको खोया ,
कौन है आस-पास , फिर देखो दूर तक कभी वीराने में ,
किसे हंसाया , किसको रुलाया ,
किसका दिल दुखाया , कभी अनजाने में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

किसे अपनाया , किसको ठुकराया ,
उनको भी झाँक के देखो , कभी दिल की गहराई में ,
किसे बनाया , किसको बिगाड़ा ,
अब तो जागो प्यारे , कब से सो रहे उजियारे में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

अपनों को तो हम भूल गए , गैरों की क्या बात कहें ,
चलो अच्छे कुछ काम करें अब , बाकी बची जिंदगानी में ,
भूखे - प्यासे की आग बुझायें , दीन - दुखी को गले लगायें ,
आओ साथ चलें मिलकर हम , केवल बात न करें अब ज़ुबानी में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !!

ठहरे - जमे हुए पलों ने बहुत रुलाया है ,
दिल के आईने में भी अब तो , खुद का चेहरा धुंधलाया है ,
ये जिस्म ही नहीं , एक मुकम्मल " रूह " है ~♥ कल्प ♥~
जाने कब से जाग रही - भटक रही है , खुद को खुद से मिलाने में ,
अब डूबने दो - उबरने दो जरा मुझे , " कल्प " को तलाशने में !!

खुद को पास बुला के , बैठो कभी तन्हाई में !! ~♥ कल्प ♥~

अपने थे ♥ कल्प ♥

हम तो वो हैं जो ग़ैरों को भी अपना बना लेते हैं ,
फिर आज वो जो अपने थे , कैसे ग़ैर हो गए !! 

वक़्त और हालात ने मिलकर हमें तन्हा कर दिया ,
वरना हम भी कभी अकेले ही महफ़िल सजाया करते थे !! ♥ कल्प ♥

Tuesday, January 17, 2012

~♥ कल्प ♥~ जिसकी " रूह " तो दिखती है मुझे



ज़िन्दगी ने मुझे क्या दिया , या ,
मैंने ज़िन्दगी को क्या दिया
इसी उधेड़बुन में बैठा हूँ मैं ,

मैंने कदम नहीं बढ़ाये , या ,
मज़िल कहीं दूर थी मेरी , पता नहीं ,

वक़्त ने साथ नहीं दिया , या ,
किस्मत कहीं नाराज़ थी मुझसे , पता नहीं ,

हर - सू में तेरा चेहरा नज़र आता था मुझे ,
हर ख्व़ाब तेरे पहलू से बाँध रखे थे मैंने ,
नींद नहीं आई मुझे , या
फिर शब् नहीं ढली कभी , पता नहीं ,

खुशियाँ खेलती , ज़िन्दगी नाचती थी कभी ,
हर लम्हें में हंसी गूंजती थी आँगन में ,
किसी कि नज़र लगी , या ,
खुदा को यही मंज़ूर था , पता नहीं ,

आईने में कभी-कभी खुद से पूछता हूँ मैं ,
कि कौन है ये शक्श ~♥ कल्प ♥~ जिसकी " रूह " तो दिखती है मुझे ,
लेकिन , जिस्म " सो " रहा है कहाँ , पता नहीं !!


Thursday, January 12, 2012

मैं उसे चाहता हूँ ~♥ kalp ♥~


मैं उसे चाहता हूँ जो मेरा नहीं है...
उसे माँगता हूँ जो मुझे मिल नहीं सकता...
ज़िन्दगी के उन हसीन ख़्वाबों की ताबीर चाहता हूँ...
जिसे वक़्त ने कभी अपने लम्हों में लिखा ही नहीं...!! ~♥ कल्प ♥~


Saturday, January 7, 2012

♥" कल्प "♥ क्या चाहता है , ज़िन्दगी से





ये  ज़िन्दगी रोज़ कुछ नया लिखती है ,
कुछ नया सिखाती है ,
हर आने वाले लम्हे कहीं वक़्त की गहराई में छुपे है ,
उन्ही लम्हों में कहीं ख़ुशी है , और कहीं गम भी ,

कभी चाहो जिसे वो मिलता नहीं , और कभी बिन माँगे सब मिल जाता है ,
पता नहीं ये " कल्प " क्या चाहता है , ज़िन्दगी से ,
लेकिन जो भी मिला है अब तक , उसे सीने से लगाये हूँ ,
कुछ इस तरह , जैसे मोती छुपा के सीप , बैठा हो कहीं सागर की गहराई में !! ~♥ कल्प ♥~

Wednesday, January 4, 2012

यूँ अकेला छोड़ा न करो !! ~♥ कल्प ~♥



यूँ तुम मुझे परेशां किया न करो ,

हमें अपने हाल पे तन्हा छोड़ा न करो ,

कश्ती तो मेरी पार उतरेगी , समन्दर की लहरों के भी , लेकिन

तुम मुझे बीच मजधार में , यूँ अकेला छोड़ा न करो  !! ~♥ कल्प ~♥




Tuesday, January 3, 2012

ये ख्वाबों ख्यालों की दुनिया भी अजीब होती है

ये ख्वाबों ख्यालों की दुनिया भी अजीब होती है...
हम अपनी हर ख्वाहिश , हर आरजू को पूरा करते हैं...

हक़ीकत की दुनिया में तो यूँ भी दर्द बहुत हैं...
ख़्वाबों की दुनिया में ही जीना बेहतर लगता है...

खुद को हम , खुद के बहुत करीब पाते हैं...
हर ग़म को ख़ुशी से गले लगाते हैं...
अपनी चाहतों को पहचानते हैं...
वक़्त को रोक के , उसमे प्यार के रंग भरते हैं...
जीते हैं और , हंसते हैं हम फिर से साथ - साथ...

या शायद कभी ठहरे हुए लम्हों में
हम मरते हैं फिर साथ - साथ...

ये ख्वाबों ख्यालों की दुनिया भी अजीब होती है...~♥ कल्प ♥~





उड़न तश्तरी ....: नीलोफर की आँख- एक किताब!!!

Sunday, January 1, 2012

HAPPY NEW YEAR 2012

सभी दोस्तों को एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों को
नव वर्ष २०१२ के आगमन पर , मेरी बहुत बहुत शुभकामनायें