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Sunday, December 11, 2011

कोई हसीं ख़्वाब ढूंढते हैं

दर्द भरी ज़िन्दगी का सुराग ढूंढते हैं

है अँधेरा बहुत यहाँ एक चिराग ढूंढते हैं


बनाये थे तमाशा ज़िन्दगी को इस तरह


के उन मेहेरबानो का इलाज ढूंढते हैं


कोई इन अंधेरों में मेरी दिल की शमा जला दे


हम अपनी बदनसीबी का राज़ ढूंढते हैं


हसरत का आईना ये पत्थर दिल से टूट गया


शीशों के इन टुकड़ों में अपना आज ढूंढते हैं


माज़ी के तल्ख़ लम्हों ने हमें झुलस के रख दिया


दिल को भुलाने के लिए कोई हसीं ख़्वाब ढूंढते हैं !!

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